कब, कहाँ और कैसे? – Social Science Class 8 Chapter 1 (Bihar Board)

कब, कहाँ और कैसे? - Social Science Class 8 Chapter 1 (Bihar Board)

परिचय

Social Science Class 8 Chapter 1: बिहार बोर्ड की कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक का पहला अध्याय ‘कब, कहाँ और कैसे?’ इतिहास को समझने की एक महत्वपूर्ण कुंजी प्रदान करता है। यह अध्याय हमें अतीत की घटनाओं को समझने और उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करता है। इस ब्लॉग में, हम इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझेंगे।

इतिहास को जानने का महत्त्व

इतिहास केवल तिथियों और घटनाओं की सूची नहीं है, बल्कि यह मानव सभ्यता के विकास की कहानी है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारे पूर्वज कैसे रहते थे, उन्होंने किन परिस्थितियों का सामना किया और उन्होंने कौन-कौन सी खोजें कीं।

इतिहास को जानने के स्रोत

इतिहास को जानने के लिए कई प्रकार के स्रोत होते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है:

  1. प्राथमिक स्रोत (Primary Sources):
    • शिलालेख और अभिलेख
    • सिक्के
    • पांडुलिपियाँ
    • स्थापत्य अवशेष (मंदिर, महल, गुफाएँ आदि)
  2. द्वितीयक स्रोत (Secondary Sources):
    • इतिहासकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकें
    • शोध पत्र
    • यात्रियों के वृत्तांत

इतिहास की तिथियाँ कैसे तय की जाती हैं?

इतिहास में घटनाओं की तिथियाँ निर्धारित करने के लिए कई तरीकों का उपयोग किया जाता है।

  • ईसा पूर्व (BCE) और ईसा पश्चात (CE): इतिहास को समझने के लिए घटनाओं को ईसा मसीह के जन्म से पहले (BCE) और बाद में (CE) वर्गीकृत किया जाता है।
  • कालक्रम (Chronology): घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से रखने की प्रक्रिया को कालक्रम कहा जाता है।
  • पुरातत्व विज्ञान: खुदाई के दौरान प्राप्त अवशेषों के आधार पर वैज्ञानिक पद्धति से इतिहास की तिथियाँ निर्धारित की जाती हैं।

ऐतिहासिक स्रोतों की खोज कैसे होती है?

इतिहासकार और पुरातत्वविद विभिन्न तरीकों से ऐतिहासिक स्रोतों की खोज करते हैं। इसके लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जाती हैं:

  • खुदाई (Excavation): पुरातत्वविद प्राचीन स्थलों की खुदाई करके वहां से प्राप्त अवशेषों का अध्ययन करते हैं।
  • दस्तावेज़ों और पांडुलिपियों का विश्लेषण: पुराने ग्रंथों और शिलालेखों का गहराई से अध्ययन करके इतिहास को समझा जाता है।
  • यात्रियों और राजाओं के लेख: विदेशी यात्रियों और शासकों के विवरण से भी ऐतिहासिक जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।

इतिहास के अध्ययन के प्रमुख साधन

इतिहासकार और शोधकर्ता विभिन्न साधनों का उपयोग करते हैं, जैसे:

  • भौगोलिक स्रोत: नदियाँ, पर्वत, जलवायु, और वनस्पतियाँ इतिहास को प्रभावित करते हैं।
  • साहित्यिक स्रोत: महाभारत, रामायण, वेद, पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथ ऐतिहासिक जानकारी देते हैं।
  • पुरातात्त्विक स्रोत: इमारतें, मिट्टी के बर्तन, औजार, आभूषण, और अन्य खुदाई में मिली वस्तुएँ।

इतिहास के अध्ययन का उद्देश्य

इतिहास पढ़ने का मुख्य उद्देश्य अतीत की घटनाओं को समझकर वर्तमान और भविष्य के लिए सीख लेना है। यह हमें विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और सामाजिक संरचनाओं को समझने में मदद करता है।

निष्कर्ष

‘कब, कहाँ और कैसे?’ अध्याय हमें इतिहास को समझने की एक नई दृष्टि देता है। यह हमें सिखाता है कि अतीत की घटनाएँ केवल तिथियों तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि उनके पीछे कई महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारक होते हैं। बिहार बोर्ड की इस पुस्तक का अध्ययन छात्रों को इतिहास की जटिलताओं को सरलता से समझने में सहायता करता है।

Social Science Class 8 Chapter 1 प्रश्न-उत्तर

1. इतिहास में तिथियों का क्या महत्त्व है, और वे हमारे अतीत को समझने में कैसे सहायक होती हैं?

उत्तर: तिथियाँ इतिहास की घटनाओं को समय के अनुसार व्यवस्थित करने में सहायक होती हैं। इनके माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि कोई घटना कब और किन परिस्थितियों में हुई थी। तिथियाँ हमें यह भी बताती हैं कि किन घटनाओं का प्रभाव आगे आने वाली घटनाओं पर पड़ा। उदाहरण के लिए, 1857 की क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव बनी। इतिहासकार घटनाओं को क्रमबद्ध करने के लिए कालगणना (Chronology) का उपयोग करते हैं, जिससे अतीत की घटनाओं का तुलनात्मक अध्ययन संभव हो पाता है।

2. इतिहासकार घटनाओं को कालखंडों में कैसे विभाजित करते हैं, और इसके क्या लाभ हैं?

उत्तर: इतिहासकार घटनाओं को विभिन्न कालखंडों में विभाजित करते हैं ताकि ऐतिहासिक घटनाओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके। यह विभाजन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल में बांटा गया है। इससे अध्ययन आसान हो जाता है और हमें यह समझने में मदद मिलती है कि एक समय में किन महत्वपूर्ण घटनाओं ने समाज पर प्रभाव डाला। इस तरह, ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध तरीके से देखने से उनके बीच संबंध स्पष्ट होता है।

3. ‘उपनिवेश’ शब्द का क्या अर्थ है, और यह भारतीय इतिहास से कैसे संबंधित है?

उत्तर: ‘उपनिवेश’ का अर्थ है किसी शक्तिशाली देश द्वारा दूसरे देश पर राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक नियंत्रण स्थापित करना। भारतीय संदर्भ में, ब्रिटिश शासन सबसे बड़ा उपनिवेशीकरण का उदाहरण है। ब्रिटिश सरकार ने भारत के संसाधनों का शोषण किया और यहां की राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया। 1757 की प्लासी की लड़ाई के बाद भारत धीरे-धीरे ब्रिटिश उपनिवेश बन गया। इस काल में भारतीय किसानों से भारी कर वसूले गए और पारंपरिक उद्योगों को नष्ट कर दिया गया। उपनिवेशवाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी और 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।

4. प्रशासनिक रिकॉर्ड इतिहास के अध्ययन में कैसे सहायक होते हैं?

उत्तर: प्रशासनिक रिकॉर्ड इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, क्योंकि इनमें सरकारी निर्णयों, नीतियों और कानूनों का विस्तृत विवरण होता है। ब्रिटिश शासन के दौरान, उन्होंने हर छोटी-बड़ी घटना का लिखित रिकॉर्ड रखा। राजस्व संग्रह, भूमि सुधार, जनसंख्या संबंधी आँकड़े और सरकारी आदेशों का दस्तावेजीकरण किया जाता था। यह जानकारी इतिहासकारों को औपनिवेशिक प्रशासन की कार्यप्रणाली समझने में मदद करती है। इन रिकॉर्ड्स के माध्यम से हम यह भी जान सकते हैं कि शासन व्यवस्था कैसी थी और आम जनता पर इसके क्या प्रभाव पड़े।

5. पुरालेखों (Archives) का इतिहास लेखन में क्या महत्त्व है?

उत्तर: पुरालेख वे स्थान होते हैं जहां पुराने दस्तावेज़, सरकारी रिकॉर्ड, पत्र और अन्य ऐतिहासिक प्रमाण संरक्षित किए जाते हैं। ये ऐतिहासिक शोध के लिए बहुत उपयोगी होते हैं, क्योंकि इनमें मूल दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखा जाता है। इतिहासकार पुरालेखों का उपयोग विभिन्न कालखंडों की घटनाओं और प्रशासनिक गतिविधियों को समझने के लिए करते हैं। भारत में राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) और विभिन्न राज्यों के पुरालेख विभाग इस कार्य को संभालते हैं। पुरालेखों से प्राप्त जानकारी से इतिहास को और अधिक प्रमाणिक एवं प्रामाणिक रूप से लिखा जा सकता है।

6. सर्वेक्षणों का इतिहास लेखन में क्या योगदान है?

उत्तर: सर्वेक्षणों का उपयोग ऐतिहासिक घटनाओं को अधिक सटीकता से समझने के लिए किया जाता है। औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने भारत में कई सर्वेक्षण करवाए, जिनमें भूमि, कृषि, जनसंख्या, भाषाओं और संस्कृति से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र की गई। ये सर्वेक्षण इतिहासकारों को यह समझने में मदद करते हैं कि उस समय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी थी। उदाहरण के लिए, 1872 में पहली बार भारत की जनगणना की गई थी, जिससे हमें उस समय की जनसंख्या, व्यवसाय और रहन-सहन की जानकारी मिलती है। सर्वेक्षणों से इतिहास की घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन संभव होता है।

7. औपनिवेशिक काल में सर्वेक्षणों का क्या महत्त्व था?

उत्तर: औपनिवेशिक शासन के दौरान सर्वेक्षणों का उपयोग प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करने और कर प्रणाली को मजबूत करने के लिए किया जाता था। अंग्रेजों ने भूमि सर्वेक्षण करवा कर किसानों से कर वसूलने की नीतियाँ बनाईं। उन्होंने भाषाई और जातीय सर्वेक्षण भी किए ताकि भारतीय समाज की संरचना को समझा जा सके। हालांकि, कई सर्वेक्षणों का उद्देश्य भारतीय समाज और संस्कृति का शोषण करना था। ये सर्वेक्षण हमें यह समझने में भी मदद करते हैं कि ब्रिटिश नीतियाँ भारत के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को किस प्रकार प्रभावित कर रही थीं।

8. इतिहासकारों के लिए अखबार और पत्रिकाएँ कितनी महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर: अखबार और पत्रिकाएँ इतिहास लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि इनमें उस समय की घटनाओं, जनमत और राजनीतिक परिवर्तनों का उल्लेख होता है। वे किसी विशेष काल के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को समझने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रकाशित समाचार पत्रों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजागृति पैदा की। ‘केसरी’, ‘अमृत बाजार पत्रिका’ और ‘हिंदू’ जैसे समाचार पत्रों ने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम के प्रति प्रेरित किया। इतिहासकार इन स्रोतों का उपयोग करके तत्कालीन समाज की स्थिति और घटनाओं के प्रभाव का विश्लेषण कर सकते हैं।

9. चित्र और फोटोग्राफ इतिहास के अध्ययन में कैसे सहायक होते हैं?

उत्तर: चित्र और फोटोग्राफ इतिहास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, क्योंकि वे हमें अतीत की घटनाओं का दृश्य प्रमाण देते हैं। चित्रों और तस्वीरों के माध्यम से हम ऐतिहासिक इमारतों, परिधान, रहन-सहन, युद्धों और महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित चित्र और तस्वीरें हमें उस समय की क्रांति की परिस्थितियों को समझने में मदद करती हैं। फोटोग्राफी के विकास के बाद, ऐतिहासिक घटनाओं को संरक्षित करना और उनका विश्लेषण करना अधिक आसान हो गया।

10. इतिहास लेखन में मौखिक स्रोतों का क्या योगदान है?

उत्तर: मौखिक स्रोतों में लोककथाएँ, लोकगीत, कहानियाँ और पारंपरिक मान्यताएँ शामिल होती हैं, जो किसी समाज की संस्कृति और इतिहास को समझने में मदद करती हैं। इतिहासकार इनका उपयोग उन समुदायों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं, जिनके पास लिखित दस्तावेज़ नहीं होते। भारत में स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित कई मौखिक कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रचलित हैं। ये स्रोत स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को समझने में सहायक होते हैं और लिखित इतिहास के अभाव में एक मूल्यवान माध्यम साबित होते हैं।

Social Science Class 8 Chapter 1

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