History Class 9 Chapter 4: विश्वयुध्दों का इतिहास | Bihar Board Notes 

Class 9 History Chapter 4 “विश्वयुद्धों का इतिहास” Bihar Board पाठ्यक्रम के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण अध्याय है जिसमें प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रमुख कारण, घटनाएँ, और प्रभावों पर चर्चा की गई है। यह अध्याय विद्यार्थियों को वैश्विक इतिहास की समझ देता है और साथ ही भारत पर इन युद्धों के प्रभाव को भी उजागर करता है। यहां हमने इस अध्याय से जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदु, नोट्स और संभावित प्रश्न हिन्दी माध्यम में सरल भाषा में उपलब्ध कराए हैं।

Class 9 History Chapter 4

प्रथम विश्वयुद्ध (1914–1918)

प्रथम विश्वयुद्ध एक ऐसा वैश्विक संघर्ष था जिसमें यूरोप, एशिया और अफ्रीका के कई देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। यह युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ। युद्ध का प्रमुख कारण विभिन्न देशों के बीच साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा, सैन्यवाद, राष्ट्रवाद और गुप्त सैन्य संधियाँ थीं। तत्काल कारण ऑस्ट्रिया के युवराज आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की सर्बिया में हत्या थी, जिसने ऑस्ट्रिया और सर्बिया के बीच युद्ध को जन्म दिया और देखते ही देखते पूरा यूरोप इसमें शामिल हो गया।

युद्ध में भाग लेने वाले देश

प्रथम विश्वयुद्ध में दो प्रमुख गुट थे –

  1. मित्र राष्ट्र: इंग्लैंड, फ्रांस, रूस (बाद में अमेरिका)
  2. धुरी राष्ट्र: जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, उस्मानी साम्राज्य

युद्ध चार वर्षों तक चला और इसमें भारी जनधन की हानि हुई। युद्ध का सबसे बड़ा प्रभाव यूरोपीय देशों की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पर पड़ा। कई साम्राज्य जैसे कि जर्मन, ऑस्ट्रो-हंगेरियन और उस्मानी साम्राज्य समाप्त हो गए।

वर्साय की संधि (1919)

प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच 28 जून 1919 को वर्साय की संधि हुई। इस संधि के तहत जर्मनी को युद्ध का एकमात्र दोषी ठहराया गया और उस पर कई कठोर शर्तें लागू की गईं। जर्मनी को अपने क्षेत्र, उपनिवेश, सेना और आर्थिक संसाधनों का बड़ा हिस्सा खोना पड़ा। यह संधि इतनी अपमानजनक थी कि इससे जर्मनी में असंतोष और द्वेष की भावना उत्पन्न हुई, जो बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

युद्धों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव

दोनों विश्वयुद्धों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। लाखों सैनिक और आम नागरिक मारे गए। देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और महँगाई व बेरोजगारी बढ़ गई। राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हुआ और कई देशों में तानाशाही शासन की स्थापना हुई। महिलाओं ने युद्ध के दौरान कार्यस्थलों पर जिम्मेदारी संभाली जिससे समाज में उनकी स्थिति में कुछ सुधार हुआ। साथ ही, युद्धों के कारण उपनिवेशवाद पर भी प्रश्न उठने लगे और स्वतंत्रता आंदोलनों को बल मिला।

द्वितीय विश्वयुद्ध (1939–1945)

द्वितीय विश्वयुद्ध 1 सितंबर 1939 को जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ। इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इस युद्ध में भी दो गुट बने –

  1. मित्र राष्ट्र: ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका
  2. धुरी राष्ट्र: जर्मनी, इटली, जापान

द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य कारण वर्साय संधि की कठोर शर्तें, हिटलर का जर्मनी में उदय, फासीवाद और राष्ट्रवाद की भावना का बढ़ना, तथा वैश्विक आर्थिक मंदी थे। इस युद्ध में आधुनिक हथियारों, टैंकों, वायुसेना, और अंततः परमाणु बम का प्रयोग हुआ। अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए जिससे युद्ध का अंत हुआ।

द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम

द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम स्वरूप दुनिया के कई देशों की राजनीतिक व्यवस्था बदल गई। जर्मनी, इटली और जापान की पराजय हुई। यूरोपीय देशों की शक्ति में गिरावट आई और अमेरिका व सोवियत संघ दो महाशक्तियों के रूप में उभरे। युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना की गई ताकि भविष्य में इस प्रकार के युद्धों को रोका जा सके।

दोनों विश्वयुद्धों की तुलना

प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध दोनों ही वैश्विक स्तर पर लड़े गए और मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में शामिल हैं। दोनों युद्धों के कारण, घटनाएँ और प्रभाव काफी हद तक समान थे, जैसे कि साम्राज्यवाद, राष्ट्रवाद, हथियारों की होड़ और राजनीतिक असंतुलन। हालांकि द्वितीय विश्वयुद्ध में तकनीकी और वैज्ञानिक हथियारों का अधिक प्रयोग हुआ, और जनसंहार की तीव्रता अधिक थी।

युद्धों के बाद वैश्विक प्रयास

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद शांति बनाए रखने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई, लेकिन यह प्रभावी सिद्ध नहीं हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य वैश्विक शांति, सहयोग, और सुरक्षा सुनिश्चित करना था।

भारत और विश्वयुद्ध

ब्रिटिश शासन के अधीन भारत दोनों विश्वयुद्धों में सहभागी था। भारत ने सैनिक, आर्थिक और संसाधनों के स्तर पर ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया। हजारों भारतीय सैनिकों ने विदेशों में युद्ध लड़ा। इस दौरान भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा मिली क्योंकि भारतीयों ने अंग्रेजों से समानता और स्वतंत्रता की माँग तेज कर दी। विशेष रूप से द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गांधी जी का ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ बन गया।

एक अंकीय प्रश्न-उत्तर: Class 9 History Chapter 4

प्रश्न 1: प्रथम विश्वयुद्ध किस वर्ष शुरू हुआ था?
उत्तर: 1914

प्रश्न 2: द्वितीय विश्वयुद्ध किस वर्ष समाप्त हुआ था?
उत्तर: 1945

प्रश्न 3: वर्साय की संधि किस देश के साथ हुई थी?
उत्तर: जर्मनी

प्रश्न 4: प्रथम विश्वयुद्ध का तत्काल कारण क्या था?
उत्तर: आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या

प्रश्न 5: द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जर्मनी का तानाशाह कौन था?
उत्तर: हिटलर

प्रश्न 6: संयुक्त राष्ट्र की स्थापना किस वर्ष हुई?
उत्तर: 1945

प्रश्न 7: पोलैंड पर किस देश ने आक्रमण किया?
उत्तर: जर्मनी

प्रश्न 8: हिरोशिमा किस देश का शहर है?
उत्तर: जापान

प्रश्न 9: प्रथम विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों का एक प्रमुख देश कौन था?
उत्तर: फ्रांस

प्रश्न 10: द्वितीय विश्वयुद्ध में धुरी राष्ट्रों का एक प्रमुख देश कौन था?
उत्तर: इटली

प्रश्न 11: राष्ट्र संघ की स्थापना किस युद्ध के बाद हुई थी?
उत्तर: प्रथम

प्रश्न 12: हिटलर किस राजनीतिक दल से संबंधित था?
उत्तर: नाजी

प्रश्न 13: द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका ने किस देश पर परमाणु बम गिराया था?
उत्तर: जापान

प्रश्न 14: प्रथम विश्वयुद्ध में कितने वर्ष तक युद्ध चला?
उत्तर: चार

प्रश्न 15: वर्साय संधि किस सन् में हुई थी?
उत्तर: 1919

प्रश्न 16: संयुक्त राष्ट्र (UNO) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर: न्यूयॉर्क

प्रश्न 17: प्रथम विश्वयुद्ध में ऑस्ट्रिया के युवराज की हत्या किस देश में हुई थी?
उत्तर: सर्बिया

प्रश्न 18: द्वितीय विश्वयुद्ध का मुख्य कारण कौन था?
उत्तर: आक्रमण

प्रश्न 19: द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल एक एशियाई धुरी राष्ट्र कौन था?
उत्तर: जापान

प्रश्न 20: द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था?
उत्तर: रूज़वेल्ट

3 अंकों वाले प्रश्न: Class 9 History Chapter 4

प्रश्न 1: प्रथम विश्वयुद्ध के तीन प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रमुख कारण थे:

  1. साम्राज्यवाद – यूरोपीय देशों के बीच उपनिवेशों की होड़।
  2. सैन्यवाद – हथियारों की दौड़ और सेना विस्तार।
  3. गुप्त सैन्य संधियाँ – विभिन्न देशों के बीच गुप्त गठबंधन, जिसने युद्ध की संभावना को बढ़ाया।

प्रश्न 2: वर्साय की संधि क्या थी और इसका जर्मनी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
वर्साय की संधि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 में हुई थी। इसमें जर्मनी को युद्ध का दोषी ठहराया गया और उस पर कठोर आर्थिक व सैनिक प्रतिबंध लगाए गए। इस संधि से जर्मनी की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई और जनता में असंतोष बढ़ा, जो आगे चलकर हिटलर के उदय का कारण बना।

प्रश्न 3: द्वितीय विश्वयुद्ध के दो प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रमुख कारणों में शामिल थे:

  1. वर्साय संधि की कठोर शर्तें, जिससे जर्मनी अपमानित महसूस कर रहा था।
  2. हिटलर और नाज़ी पार्टी की आक्रामक विस्तार नीति, जिसने यूरोप में तनाव को बढ़ाया।

प्रश्न 4: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना क्यों की गई थी?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति बनाए रखना, देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और युद्धों को रोकना था। यह संस्था राष्ट्र संघ की असफलता के बाद एक प्रभावी वैश्विक संगठन के रूप में उभरी।

प्रश्न 5: भारत ने विश्वयुद्धों में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
भारत, उस समय ब्रिटिश उपनिवेश होने के कारण दोनों विश्वयुद्धों में ब्रिटेन की ओर से भागीदार था। भारतीय सैनिकों ने विभिन्न मोर्चों पर युद्ध लड़ा और आर्थिक रूप से भी सहायता दी। इसके बदले में भारत को स्वराज की अपेक्षा थी, जिससे स्वतंत्रता आंदोलन और तेज हो गया।

5 अंकों वाले प्रश्न: Class 9 History Chapter 4

प्रश्न 1: प्रथम विश्वयुद्ध के प्रमुख कारणों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के पीछे कई कारण थे। सबसे पहले, साम्राज्यवाद की नीति के कारण यूरोपीय देशों में उपनिवेशों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई थी। दूसरे, राष्ट्रवाद की भावना ने लोगों में अपनी जाति और राष्ट्र को श्रेष्ठ मानने की सोच को बढ़ावा दिया। तीसरे, सैन्यवाद के चलते सभी देश अपने-अपने सैन्य बल को मजबूत करने में लगे हुए थे। चौथे, देशों के बीच गुप्त सैन्य संधियाँ बनीं, जिससे किसी भी छोटे संघर्ष के बड़े युद्ध में बदलने की संभावना बढ़ गई। अंततः, ऑस्ट्रिया के युवराज फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या ने युद्ध का तात्कालिक कारण उत्पन्न किया।

प्रश्न 2: वर्साय संधि के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्साय संधि 28 जून 1919 को जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच हुई थी। इस संधि में जर्मनी को प्रथम विश्वयुद्ध के लिए पूरी तरह दोषी ठहराया गया। जर्मनी से उसके उपनिवेश और यूरोप के कई भू-भाग छीन लिए गए। उसे भारी आर्थिक क्षतिपूर्ति भरने के लिए बाध्य किया गया, और उसकी सेना सीमित कर दी गई। इस अपमानजनक संधि से जर्मनी में असंतोष और बदले की भावना पैदा हुई, जो द्वितीय विश्वयुद्ध का एक प्रमुख कारण बना।

प्रश्न 3: द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण जटिल और गहरे थे। सबसे प्रमुख कारण वर्साय संधि की कठोर शर्तें थीं, जिन्होंने जर्मनी को आर्थिक और सैन्य रूप से कमजोर कर दिया। हिटलर और नाज़ी पार्टी ने इन शर्तों का विरोध करते हुए विस्तारवादी नीति अपनाई और जर्मनी को पुनः शक्तिशाली बनाने का अभियान शुरू किया। वैश्विक आर्थिक मंदी ने भी राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ाया और तानाशाही को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त, पोलैंड पर जर्मनी के आक्रमण ने युद्ध को आरंभ कर दिया, और देखते ही देखते यह विश्वव्यापी संघर्ष बन गया।

प्रश्न 4: दोनों विश्वयुद्धों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्वयुद्धों ने विश्व को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पूरी तरह बदल दिया। लाखों लोगों की जानें गईं, जनसंख्या में भारी गिरावट आई और कई देश आर्थिक संकट में फंस गए। युद्धों के बाद कई साम्राज्य समाप्त हो गए और लोकतंत्र तथा तानाशाही दोनों का उदय हुआ। महिलाओं की सामाजिक भूमिका में परिवर्तन आया क्योंकि वे युद्धकाल में कार्यबल का हिस्सा बनीं। उपनिवेशवाद पर सवाल उठने लगे और स्वतंत्रता आंदोलनों को बल मिला। अंततः, इन युद्धों ने दुनिया को शांति स्थापित करने के लिए नए प्रयासों की ओर प्रेरित किया।

प्रश्न 5: भारत की विश्वयुद्धों में भागीदारी तथा उसके स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत ने ब्रिटिश उपनिवेश होने के कारण दोनों विश्वयुद्धों में ब्रिटेन का साथ दिया। लाखों भारतीय सैनिकों ने विदेशों में युद्ध लड़ा और ब्रिटिश सेना को सहयोग दिया। भारत से आर्थिक संसाधन भी युद्ध में प्रयोग किए गए। इसके बदले में भारतवासियों को स्वराज की आशा थी, लेकिन अंग्रेजों ने कोई ठोस वादा नहीं निभाया। इससे भारतीयों में असंतोष और संघर्ष की भावना बढ़ी, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन को नया बल दिया। विशेष रूप से द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गांधी जी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चलाया, जो स्वतंत्रता की दिशा में निर्णायक कदम बना।

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Class 9 History Chapter 4: “विश्वयुद्धों का इतिहास” अध्याय विद्यार्थियों को यह समझने का अवसर देता है कि किस प्रकार वैश्विक स्तर पर हुए युद्धों ने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे को प्रभावित किया। इस अध्याय से न केवल युद्धों के कारण और परिणामों की जानकारी मिलती है, बल्कि भारत पर उनके प्रभाव और स्वतंत्रता आंदोलन के नए स्वरूप को भी समझा जा सकता है। यदि आप Class 9 History के अन्य अध्यायों को भी पढ़ना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए लिंक से विस्तृत नोट्स अवश्य देखें।

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