History Class 8 Chapter 11: भारत का सांस्कृतिक इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। यहाँ की कला, स्थापत्य, साहित्य और चित्रकला ने समय के साथ अनेक परिवर्तन देखे। इस अध्याय में हम समझेंगे कि किस प्रकार भारत की पारंपरिक कला परंपराएं औपनिवेशिक प्रभाव में आईं और कैसे भारतीयों ने इसे फिर से अपने गौरव के प्रतीक के रूप में स्थापित किया।
चित्रकला में परिवर्तन
- उत्कीर्ण चित्र (Engraving Art): लकड़ी या धातु की पट्टियों पर चित्र उकेर कर उन्हें छापा जाता था। यह तकनीक छपाई की दुनिया में क्रांति लायी।
- रूपचित्र (Portraits): किसी व्यक्ति की शक्ल और स्वभाव को दिखाने वाले चित्र। ये शासकों, धनाढ्य व्यक्तियों आदि के बनाए जाते थे।
- अलबम चित्रण: चित्रों को एक जगह संकलित करके अलबम तैयार किया जाता था।
- किरमिच चित्रकला: गाढ़े कपड़े (किरमिच) पर बनाए गए सुंदर पारंपरिक चित्र, जिन्हें बाद में सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
औपनिवेशिक बनाम राष्ट्रवादी चित्रकला
- औपनिवेशिक चित्रकला: अंग्रेज चित्रकारों ने भारत को एक पिछड़े देश के रूप में दिखाया। वे ग्रामीण भारत की गरीबी, गंदगी आदि को दिखाते थे।
- राष्ट्रवादी चित्रकला: भारतीय कलाकारों ने रामायण, महाभारत, देवी-देवताओं और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी प्रेरणादायक घटनाओं को चित्रों में दर्शाया। इससे भारतीयों में गर्व और आत्मबल पैदा हुआ।
स्थापत्य कला में बदलाव
- ग्रीको-रोमन शैली: भारी स्तंभ और गुंबदों वाला यूरोपीय शैली का निर्माण (जैसे गवर्नमेंट भवन)।
- गोथिक शैली: ऊंची नोकदार मीनारें, रंगीन काँच और मेहराबदार खिड़कियाँ प्रमुख रचनाएँ थीं।
- इंडो-सारसेनिक शैली: यह शैली भारतीय और यूरोपीय स्थापत्य का मिश्रण थी। इसमें मुगल शैली और ब्रिटिश शैली का संयोजन देखने को मिलता है।
साहित्यिक देशभक्ति
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र: हिंदी के जनक माने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद को साहित्य में स्थान दिया।
- बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय: “वंदे मातरम्” गीत की रचना की, जो स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक बना।
- रमेशचंद्र दत्त: अपने उपन्यासों में भारतीय संस्कृति और इतिहास को गौरवशाली रूप में प्रस्तुत किया।
मधुबनी चित्रकला
- यह बिहार की पारंपरिक चित्रकला है, जिसे महिलाएं घरों की दीवारों और आंगन में बनाती हैं।
- इसमें देवी-देवता, प्राकृतिक दृश्य और लोककथाओं को चित्रित किया जाता है।
- आज यह कला वैश्विक पहचान बना चुकी है और आर्थिक रूप से भी लाभकारी है।
आधुनिक भारतीय कलाकार
- अवनींद्रनाथ टैगोर: बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के संस्थापक। उन्होंने भारतीय संस्कृति को चित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त किया।
- नंदलाल बोस: अजंता की गुफाओं से प्रेरणा लेकर राष्ट्रवादी भावना से युक्त चित्र बनाए। वे शांतिनिकेतन से भी जुड़े थे।
निष्कर्ष: History Class 8 Chapter 11
“कला क्षेत्र में परिवर्तन” यह दर्शाता है कि भारत की कला और संस्कृति समय के साथ बदलती रही, लेकिन इसके मूल में भारतीयता और राष्ट्रीयता हमेशा बनी रही। अंग्रेजों के प्रभाव के बावजूद भारतीय कलाकारों और साहित्यकारों ने अपनी परंपराओं को बचाया और उन्हें गौरवपूर्ण बनाया।
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प्रश्न: औपनिवेशिक चित्रकला और राष्ट्रवादी चित्रकला में क्या अंतर था?
उत्तर: औपनिवेशिक चित्रकला में अंग्रेज कलाकार भारत को पिछड़ा और आदिम दिखाते थे, जबकि राष्ट्रवादी चित्रकला में भारतीय कलाकारों ने पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक दृश्यों के माध्यम से भारतीय गौरव और संस्कृति को प्रस्तुत किया।
प्रश्न: मधुबनी चित्रकला की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: मधुबनी चित्रकला बिहार की पारंपरिक कला शैली है, जिसमें महिलाएं धार्मिक, सामाजिक और प्राकृतिक विषयों पर चित्र बनाती हैं। यह कला शैली विवाह, त्योहारों और पारिवारिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से उपयोग होती है।
प्रश्न: ब्रिटिश चित्रकारों ने भारत को कैसे चित्रित किया?
उत्तर: ब्रिटिश चित्रकारों ने भारत को एक आदिम और पिछड़े देश के रूप में दिखाया, जिसमें टूटे-फूटे भवनों और खंडहरों के चित्र बनाकर भारतीय सभ्यता को पतनशील बताया गया।
प्रश्न: साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: साहित्यिक देशभक्ति वह भावना है जिसमें लेखक और कवि अपने साहित्य के माध्यम से देशभक्ति, स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रवाद की भावना को जागृत करते हैं, जिससे जनता में स्वतंत्रता के प्रति चेतना आती है।
प्रश्न: ग्रीको-रोमन स्थापत्य शैली की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: ग्रीको-रोमन शैली में बड़े स्तंभ, गणितीय संरचनाएं और गुम्बद शामिल होते हैं। यह शैली यूरोपीय पुनर्जागरण के दौरान पुनर्जीवित हुई और ब्रिटिश शासन में भारत में कई इमारतों में अपनाई गई।
प्रश्न: इंडो-सारसेनिक स्थापत्य शैली क्या है?
उत्तर: इंडो-सारसेनिक शैली भारतीय और यूरोपीय स्थापत्य शैलियों का मिश्रण है, जिसमें मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला के तत्वों को मिलाकर भवनों का निर्माण किया गया।
प्रश्न: अवनींद्रनाथ टैगोर की चित्रकला की विशेषता क्या थी?
उत्तर: अवनींद्रनाथ टैगोर ने जापानी जलरंग तकनीक और भारतीय पौराणिक विषयों का संयोजन करके चित्र बनाए, जैसे “मेरी माँ” चित्र, जिसमें जापानी कला का प्रभाव स्पष्ट है।
प्रश्न: आर्थिक राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर: आर्थिक राष्ट्रवाद वह विचारधारा है जिसमें भारतीयों ने अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीतियों की आलोचना की और स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहित किया।
प्रश्न: औपनिवेशिक काल में रूपचित्रण का क्या महत्व था?
उत्तर: औपनिवेशिक काल में रूपचित्रण के माध्यम से अंग्रेज कलाकारों ने अपने शासकों और अधिकारियों के आदमकद चित्र बनाकर उनकी श्रेष्ठता और वैभव को दर्शाया।
प्रश्न: राष्ट्रवादी चित्रकारों ने किन विषयों को चित्रित किया?
उत्तर: राष्ट्रवादी चित्रकारों ने रामायण, महाभारत और पौराणिक कथाओं के दृश्यों को चित्रित करके भारतीय संस्कृति और इतिहास को गौरवपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया।
History Class 8 Chapter 11
अध्याय 11 “कला क्षेत्र में परिवर्तन” हमें यह समझने में मदद करता है कि किस प्रकार अंग्रेजी शासनकाल में चित्रकला, वास्तुकला और साहित्य ने भारतीय समाज और राष्ट्रीय भावना को प्रभावित किया। इस अध्याय के माध्यम से विद्यार्थियों को कला के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की झलक मिलती है।
यदि आपने पहले के अध्याय नहीं पढ़े हैं, तो इन पर आधारित हमारे अन्य लेख भी जरूर देखें:
- अंग्रेजी शासन एवं शहरी जीवन | History Class 8 Chapter 10
- महिलाओं की स्थिति एवं सुधार | History Class 8 Chapter 9
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साथ ही, यदि आप कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान का पहला अध्याय पढ़ना चाहते हैं, तो इसे यहाँ देखें।
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