Class 10 History Chapter 2 Notes – Nationalism in India

Class 10 history chapter 2 notes “Nationalism in India” भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं और आंदोलनों पर आधारित है। यह अध्याय बताता है कि किस प्रकार भारतीयों ने एकजुट होकर अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष किया और स्वतंत्रता की नींव रखी। यहाँ हम इस अध्याय के detailed notes प्रस्तुत कर रहे हैं जो परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत उपयोगी होंगे।

मुख्य विषय (Main Topics of the Chapter)

  • प्रथम विश्व युद्ध और भारत पर प्रभाव
  • महात्मा गांधी का आगमन और सत्याग्रह
  • रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड
  • असहयोग आंदोलन
  • खिलाफत आंदोलन
  • किसान, मज़दूर और आदिवासी आंदोलनों की भूमिका
  • नागर समाज और राष्ट्रवाद का प्रसार
  • स्वराज की परिकल्पना

प्रथम विश्व युद्ध और भारत पर प्रभाव

  • युद्ध (1914-1918) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया।
  • करों और कीमतों में वृद्धि हुई।
  • लाखों भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भेजा गया।
  • इससे जनता में असंतोष और बढ़ गया।

महात्मा गांधी का आगमन और सत्याग्रह

  • गांधी जी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे।
  • 1916 में चम्पारण सत्याग्रह (नील की खेती करने वाले किसानों की समस्या)।
  • 1917 में खेड़ा सत्याग्रह (किसानों के कर माफी की मांग)।
  • 1918 में अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन
  • इन आंदोलनों से गांधी जी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड

  • 1919 में रॉलेट एक्ट पास किया गया, जिसने बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तारी की इजाज़त दी।
  • गांधी जी ने इसके खिलाफ आंदोलन किया।
  • 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, जिसमें जनरल डायर ने निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवाईं।

असहयोग आंदोलन (1920-1922)

  • गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की।
  • सरकारी स्कूल-कॉलेज का बहिष्कार, विदेशी वस्त्रों की होली, खादी का प्रयोग बढ़ाना।
  • आंदोलन व्यापक रूप से सफल हुआ।
  • 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने आंदोलन वापस ले लिया।

खिलाफत आंदोलन

  • तुर्की में खलीफा की पदवी को बचाने के लिए भारतीय मुसलमानों ने आंदोलन शुरू किया।
  • गांधी जी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए इसका समर्थन किया।
  • खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन ने मिलकर राष्ट्रवाद को और मजबूत किया।

किसान, मज़दूर और आदिवासी आंदोलन

  • अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों और आदिवासियों ने अंग्रेजों और जमींदारों के खिलाफ विद्रोह किया।
  • उदाहरण: बाबा रामचंद्र (अवध किसान आंदोलन), अल्लूरी सीताराम राजू (आंध्र प्रदेश आदिवासी आंदोलन)।

नागर समाज और राष्ट्रवाद का प्रसार

  • भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भी राष्ट्रवादी आंदोलन का समर्थन किया।
  • प्रेस, साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।

स्वराज की परिकल्पना

  • स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता का भी सपना था।
  • यह विचार धीरे-धीरे पूरे भारत में फैला और लोगों को आज़ादी के लिए प्रेरित करता रहा।

Class 10 History Chapter 2 “Nationalism in India” भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाला अध्याय है। इसमें गांधी जी की भूमिका, असहयोग आंदोलन, किसानों और आम जनता के संघर्ष को विस्तार से समझाया गया है। परीक्षा में अक्सर इस अध्याय से प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए ऊपर दिए गए notes आपकी तैयारी के लिए बेहद उपयोगी रहेंगे।

Class 10 History Chapter 2 Important Questions with Answers

प्रश्न 1. रॉलेट एक्ट क्या था और इसके खिलाफ आंदोलन क्यों हुआ?

उत्तर:
1919 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में रॉलेट एक्ट पास किया। इस कानून के तहत सरकार को यह अधिकार मिल गया कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे और बिना वकील की मदद के दो साल तक जेल में बंद कर सकती थी। इस कानून ने भारतीयों की आज़ादी और न्याय की भावना पर सीधा हमला किया।

भारतीय नेताओं और जनता ने इसे “काला कानून” कहा। महात्मा गांधी ने इस अधिनियम के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। जगह-जगह हड़तालें, प्रदर्शन और सभाएँ आयोजित की गईं। इस आंदोलन ने भारतीय जनता को पहली बार एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठाने का अवसर दिया।

प्रश्न 2. जलियांवाला बाग हत्याकांड का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हजारों लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में शांति से सभा कर रहे थे। इस दौरान जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाकर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

इस घटना के प्रभाव:

  • पूरे भारत में गुस्सा और आक्रोश फैल गया।
  • गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति सहयोग समाप्त करने का निर्णय लिया।
  • भारतीय जनता ने अंग्रेजों के प्रति अपना विश्वास खो दिया।
  • यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का turning point बनी।
  • विश्व स्तर पर भी अंग्रेज़ी शासन की आलोचना हुई।

प्रश्न 3. असहयोग आंदोलन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर:
1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेजों के संस्थानों और वस्तुओं का बहिष्कार करना था।

इसकी मुख्य विशेषताएँ थीं:

  1. सरकारी संस्थानों का बहिष्कार – छात्रों ने सरकारी स्कूल और कॉलेज छोड़े।
  2. वस्त्र बहिष्कार – विदेशी कपड़ों की होली जलाकर खादी और घरेलू वस्त्रों का प्रयोग बढ़ा।
  3. पदवी और उपाधियों का त्याग – कई भारतीय नेताओं और अधिकारियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटा दीं।
  4. न्यायालयों का बहिष्कार – वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया।
  5. हिंसा का विरोध – यह आंदोलन पूरी तरह से अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत पर आधारित था।

यह आंदोलन पूरे भारत में व्यापक रूप से सफल हुआ, लेकिन 1922 में चौरी-चौरा कांड में हिंसा होने के कारण गांधी जी ने इसे वापस ले लिया।

प्रश्न 4. खिलाफत आंदोलन का महत्व समझाइए।

उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा (धार्मिक प्रमुख) की पदवी और अधिकारों को अंग्रेजों ने समाप्त कर दिया। भारत के मुसलमानों को लगा कि यह उनके धार्मिक अधिकारों का अपमान है। इसके विरोध में भारत में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ।

इस आंदोलन का महत्व:

  1. गांधी जी ने इसे असहयोग आंदोलन से जोड़ा, जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता मजबूत हुई।
  2. पूरे भारत में इस आंदोलन ने राष्ट्रवाद की भावना को तेज़ किया।
  3. इस आंदोलन ने किसानों, मजदूरों और व्यापारियों को भी अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया।
  4. यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम हिस्सा बना।

प्रश्न 5. किसान और आदिवासी आंदोलनों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम केवल नेताओं और शहरों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें किसानों, मजदूरों और आदिवासियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

  1. किसान आंदोलन:
    • अवध (उत्तर प्रदेश) में बाबा रामचंद्र के नेतृत्व में किसानों ने आंदोलन किया।
    • उनकी मांग थी कि लगान घटाया जाए और बेगार प्रथा समाप्त हो।
  2. आदिवासी आंदोलन:
    • आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासियों का नेतृत्व किया।
    • उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जंगलों के अधिकार और स्वशासन के लिए संघर्ष किया।

इन आंदोलनों से यह साबित हुआ कि स्वतंत्रता संग्राम केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह किसानों, मजदूरों और आदिवासियों का भी संघर्ष था।

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