History Class 9 Chapter 3: मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारत का पहला ऐसा साम्राज्य था जिसने उपमहाद्वीप के विशाल भूभाग को एकसाथ जोड़कर एक शक्तिशाली राजनीतिक व्यवस्था स्थापित की। इसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 321 ईसा पूर्व में की थी। मौर्य काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है क्योंकि इसने भारत में केंद्रीकृत शासन, संगठित प्रशासन, और आर्थिक समृद्धि की नींव रखी। इस साम्राज्य की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरा भारत एक छत्र शासन के अंतर्गत आ गया था।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना
मौर्य साम्राज्य की स्थापना नंद वंश के पतन के बाद हुई। चंद्रगुप्त मौर्य ने, चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से नंद वंश को पराजित कर मगध की सत्ता प्राप्त की। कौटिल्य, जिन्हें अर्थशास्त्र के रचयिता के रूप में भी जाना जाता है, ने न केवल राजनीतिक रणनीति में बल्कि प्रशासनिक ढांचे के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस नामक ग्रीक शासक को हराया और उससे काबुल, गंधार, और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्र प्राप्त किए। इसके साथ ही मौर्य साम्राज्य पश्चिम में भी सुदृढ़ हुआ।
मौर्य शासकों की विशेषताएँ
मौर्य वंश में प्रमुख रूप से तीन शासकों – चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, और सम्राट अशोक का विशेष महत्व है।
चंद्रगुप्त मौर्य ने सत्ता प्राप्त करने के बाद शासन प्रणाली को सुदृढ़ किया और कर व्यवस्था को व्यवस्थित किया। वे जैन धर्म की ओर आकर्षित हुए और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कर्नाटक चले गए, जहाँ उन्होंने संन्यास ले लिया।
बिंदुसार, चंद्रगुप्त के पुत्र थे। उन्होंने दक्षिण भारत की ओर साम्राज्य का विस्तार किया। ग्रीक लेखकों ने उन्हें “अमित्रघात” (दुश्मनों का संहारक) कहा है।
अशोक, मौर्य वंश के महानतम शासक माने जाते हैं। अशोक ने अपने शासन के शुरुआती वर्षों में शक्तिशाली प्रशासन चलाया, परंतु कलिंग युद्ध ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। युद्ध की भीषणता देखकर उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और हिंसा त्यागकर ‘धम्म’ की नीति अपनाई।
प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था
मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था अत्यंत संगठित और प्रभावशाली थी। साम्राज्य को कई प्रांतों में बांटा गया था जिन पर राजकुमार या अमात्य शासक होते थे। राजधानी पाटलिपुत्र में सम्राट का मुख्य प्रशासनिक केंद्र था। कर वसूली, फौज की व्यवस्था, सड़क निर्माण, सिंचाई, और व्यापार को लेकर अनेक विभाग गठित किए गए थे।
आर्थिक दृष्टि से मौर्य साम्राज्य अत्यंत समृद्ध था। कृषि, उद्योग और व्यापार को बढ़ावा दिया गया। आंतरिक और बाहरी व्यापार के लिए सड़कों का निर्माण किया गया था। सिक्कों का चलन भी व्यवस्थित ढंग से किया गया था जिससे व्यापार में सहूलियत मिली।
अशोक और उनके शिलालेख
सम्राट अशोक ने अपने संदेशों और नीतियों को जन-साधारण तक पहुँचाने के लिए शिलालेखों और स्तंभों पर खुदवाया। ये शिलालेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में थे। इन शिलालेखों में उन्होंने धर्म, नैतिकता, अहिंसा, और जनता की सेवा जैसे विषयों पर बल दिया। उनके ‘धम्म’ की नीति में बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया था ताकि हर वर्ग के लोग उसे समझ सकें।
मौर्य साम्राज्य का पतन
सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य कमजोर होने लगा। उनके उत्तराधिकारी प्रभावशाली नहीं थे और साम्राज्य धीरे-धीरे छोटे-छोटे हिस्सों में बंट गया। अंततः 185 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी, और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हुआ तथा शुंग वंश की शुरुआत हुई।
निष्कर्ष: History Class 9 Chapter 3
मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम काल था। इसने एक सशक्त और संगठित शासन प्रणाली की नींव रखी। चंद्रगुप्त की राजनीतिक दूरदर्शिता, चाणक्य की रणनीति, और अशोक की धर्म नीति ने इस साम्राज्य को विशिष्ट बना दिया। अशोक के बाद भले ही साम्राज्य का पतन हुआ, लेकिन मौर्य काल की उपलब्धियाँ आज भी भारतीय इतिहास को गौरवान्वित करती हैं।
FAQs
प्रश्न 1. मौर्य साम्राज्य का विस्तार किन क्षेत्रों में हुआ था?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य का विस्तार उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल, दक्षिण में कर्नाटक तक फैला हुआ था। यह साम्राज्य लगभग पूरे उत्तर भारत, मध्य भारत और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर बना था। अशोक के समय यह साम्राज्य अपने चरम पर था।
प्रश्न 2. चंद्रगुप्त मौर्य ने किसकी सहायता से नंद वंश को पराजित किया?
उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से नंद वंश को पराजित किया और मगध की गद्दी पर अधिकार किया। चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे जिन्होंने चंद्रगुप्त को शासक बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
प्रश्न 3. अशोक ने किस युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया?
उत्तर: अशोक ने कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया। इस युद्ध में हुई भारी जनहानि और विनाश को देखकर वे अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपनाया।
प्रश्न 4. अशोक के शिलालेखों का क्या महत्व है?
उत्तर: अशोक के शिलालेखों से हमें उसके शासन, धार्मिक विचारों, सामाजिक नीतियों और जनता के प्रति व्यवहार की जानकारी मिलती है। ये शिलालेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं, जिनसे पता चलता है कि अशोक ने ‘धम्म’ की नीति को अपनाकर अहिंसा, सत्य, दया और धार्मिक सहिष्णुता का प्रचार किया।
प्रश्न 5. मौर्य साम्राज्य के प्रशासन की विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य का प्रशासनिक ढांचा अत्यंत संगठित था। साम्राज्य को विभिन्न प्रांतों में बांटा गया था, जिन पर राजकुमार या अमात्य नियुक्त किए जाते थे। पाटलिपुत्र राजधानी थी। कर वसूली की सुनियोजित व्यवस्था थी और कई विभाग थे जैसे सेना, सिंचाई, सड़क निर्माण, न्याय, आदि। मौर्य प्रशासन में जासूसी तंत्र भी बहुत मजबूत था।
प्रश्न 6. मौर्य वंश के अंतिम शासक कौन थे और उनका अंत कैसे हुआ?
उत्तर: मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ थे। उनकी हत्या उनके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हुआ तथा शुंग वंश की स्थापना हुई।
प्रश्न 7. चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को पराजित करके क्या प्राप्त किया?
उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य ने यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को पराजित कर अफगानिस्तान, बलूचिस्तान और काबुल जैसे पश्चिमोत्तर क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिला लिया। इस विजय के बाद चंद्रगुप्त और सेल्यूकस के बीच एक संधि हुई तथा चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए।
प्रश्न 8. ‘धम्म’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: ‘धम्म’ सम्राट अशोक की नैतिक नीति थी, जो बौद्ध धर्म से प्रेरित थी। इसमें अहिंसा, सत्य, क्षमा, बड़ों का सम्मान, छोटों से स्नेह, सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और प्रजा की सेवा जैसे मूल्य शामिल थे। अशोक ने इसे अपनाकर अपने राज्य में शांति और सद्भाव कायम करने का प्रयास किया।
प्रश्न 9. अशोक ने धम्म प्रचार के लिए कौन-से कदम उठाए?
अशोक ने ‘धम्म’ के प्रचार के लिए कई कदम उठाए:
- शिलालेखों और स्तंभों पर धम्म संबंधी आदेश खुदवाए।
- धम्म महामात्रों की नियुक्ति की जो लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाते थे।
- यात्राएँ कीं और स्वयं लोगों को उपदेश दिए।
- मानवता, दया और सेवा भावना को शासन का आधार बनाया।
प्रश्न 10. चाणक्य कौन थे और उनका मौर्य साम्राज्य में क्या योगदान था?
उत्तर: चाणक्य (कौटिल्य) एक महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और गुरु थे। उन्होंने ‘अर्थशास्त्र’ नामक ग्रंथ की रचना की। चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को नंद वंश के खिलाफ संगठित किया और उसे राजा बनाने में मदद की। मौर्य साम्राज्य की नींव रखने और प्रशासनिक व्यवस्था गढ़ने में चाणक्य का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान था।
निष्कर्ष
History Class 9 Chapter 3: मौर्य साम्राज्य हमें प्राचीन भारत के सबसे शक्तिशाली और संगठित साम्राज्य की गहराई से जानकारी देता है। चंद्रगुप्त मौर्य की राजनीतिक कुशलता और सम्राट अशोक की नैतिक नीतियाँ आज भी प्रेरणा देती हैं। इस अध्याय के माध्यम से छात्रों को न केवल शासन प्रणाली की समझ मिलती है बल्कि धर्म, नीति और समाज पर भी गहरा दृष्टिकोण विकसित होता है।
अगर आपने अभी तक पिछले अध्याय नहीं पढ़े हैं, तो हमारी website पर उपलब्ध इन notes को ज़रूर पढ़ें: